अल्ट्राटेक कंपनी को सीमेंट सप्लाई का दिया आर्डर, अंबुजा और एसीसी सीमेंट कम्पनी का विवाद अनसुलझा

अल्ट्राटेक कंपनी को सीमेंट सप्लाई का दिया आर्डर, अंबुजा और एसीसी सीमेंट कम्पनी का विवाद अनसुलझा

शिमला
हिमाचल प्रदेश के विकास कार्यों के लिए 50 हजार और सीमेंट बोरियों की आपूर्ति शुरू हो गई है। इससे पहले खाद्य आपूर्ति निगम ने अल्ट्राटेक कंपनी को 1 लाख 20 हजार सीमेंट की बोरियों का ऑर्डर दिया था। ये सीमेंट विकास कार्यों में इस्तेमाल कर दिया गया। अब दूसरे ऑर्डर की सप्लाई आनी शुरू हो गई है। इधर, अदाणी कंपनी के साथ अंबुजा और एसीसी सीमेंट को लेकर चल रहा विवाद थम नहीं रहा है। सरकार की ओर से गठित सब कमेटी ने 8 जनवरी को कंपनी अधिकारी, दाड़लाघाट और बरमाणा ट्रक यूनियन की बैठक बुलाई है। इसमें सीमेंट का भाड़ा तय होना है।

खाद्य आपूर्ति निगम की ओर से अभी बड़े प्रोजेक्टों के लिए सीमेंट जारी किया जा रहा है। हालांकि, प्रदेश सरकार की ओर से हिमाचल में टेंडर पर रोक लगाई है। ऐसे में सीमेंट की खपत कम हो रही है। हिमाचल में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मंत्रियों को विभाग आंवटित होंगे। ऐसे में टेंडर बहाल होने की संभावना लगाई जा रही है। टेंडर बहाल किए जाने से हिमाचल में सीमेंट की डिमांड बढ़ेगी। इधर, खाद्य आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक केसी चमन ने बताया कि हिमाचल में सीमेंट की कमी नहीं है। अल्ट्राटेक कंपनी को सीमेंट के लिए ऑर्डर जारी किए जा रहे हैं।

बरमाणा और दाड़लाघाट में सीमेंट प्लांट बंद करने पर सरकार से जवाब तलब
वहीं, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बरमाणा और दाड़लाघाट में सीमेंट प्लांट बंद करने पर संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार सहित अंबुजा, एसीसी सीमेंट कंपनी और अदाणी ग्रुप को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 12 जनवरी को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता रजनीश शर्मा ने मैसर्ज अदाणी ग्रुप की ओर से सीमेंट प्लांट को बंद करने के निर्णय को चुनौती दी है। आरोप है कि मैसर्ज अदाणी ग्रुप ने एकाएक दोनों प्लांट बंद कर दिए। इस व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। याचिका के माध्यम से दलील दी गई कि बरमाणा सीमेंट प्लांट में 4,000 ट्रक सीमेंट ढुलाई के कार्य में लगे थे। इसी तरह दाड़लाघाट में भी 3,500 परिवारों का गुजारा सीमेंट ढुलाई से ही चलता था। ये सारे ट्रक अब सड़क पर खड़े हैं। इससे ट्रैफिक जाम बना रहता है। ट्रक ऑपरेटरों के साथ-साथ मेकेनिक, ढाबे, पेट्रोल पंपों आदि को नुकसान हुआ है। प्लांट बंद करने से ट्रक खरीदने के लिए लोन की किस्त चुकाना भी मुश्किल हो गया है। प्लांट बंद करने से पहले मैसर्ज अदाणी ग्रुप ने न तो राज्य सरकार को एक महीने का नोटिस दिया और न ही श्रम विभाग को प्लांट बंद करने की सूचना दी।

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